Ajit Doval Biography in Hindi: आज हम जिनके बारे में आपको बताने वाले है उनसे वैसे तो सभी परिचित होंगे। भारत के जेम्स बॉन्ड कहे जाने वाले अजीत डोभाल पीएम मोदी के पांचवें एवं वर्तमान समय में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार है। उन्हें पहली बार 30 मई 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5वें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के तौर पर नियुक्ति किया था। इसके साथ ही अजीत को मोदी के मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी प्राप्त है।
भारत की बड़ी बड़ी सुरक्षा एजेंसिया अजीत डोभाल के निर्देशानुसारा कार्य करती है। अजीत डोभाल राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर भी भारत सरकार को सलाह देते है। साल 2004 से 2005 तक उन्होंने इंटेलिजेंस ब्यूरों के निदेशक के रूप में काम किया है। बता दे, कि अजीत डोभाल एक रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी और पूर्व भारतीय खुफिया और कानून प्रवर्तन अधिकारी है।
अजीत डोभाल का जीवन परिचय
अजीत डोभाल का जन्म पौड़ी गढ़वाल के घिरी बनेलस्युं गांव में 20 जनवरी 1945 को हुआ थे। वे गढ़वाली परिवार से थे। इनके पिता का नाम गुणानद डोभाल था, वे भी भारतीय सेना में अधिकारी थे। इस कारण अजीत ने अपनी पढ़ाई मिलिट्री स्कूल से की थी। बचपन से उनके मन में देशभक्ति की भावना थी। सन् 1972 में अजीत डोभाल की शादी अनु डोभाल से हो गई और इनके दो बेटे शौर्य डोभाल और विवेक डोभाल है।
वह अपनी प्रशंसनीय सेवा के लिए पुलिस पदक लेने वाले सबसे कम आयु वाले पुलिस अधिकारी है। अजीत डोभाल को भारत का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार एवं कीर्ति चक्र पुरस्कार भी मिला है।’कीर्ति चक्र’ पाने वाले पहले पुलिस अधिकारी है। सन् 2014 में अजीत डोभाल ही इराक के तिकरित के एक अस्तपाल में फंसी हुई 46 भारतीय नर्सों को सुरक्षित भारत लाए थे। धारा 370 के मुद्दे को सफलतापूर्वक निपटाने में उनकी अहम भूमिका रहीं। इस कारण ही अजीत डोभाल को ‘जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने का मास्टर माइंड’ कहा जाता है। कई राष्ट्रीय रक्षा मिशनों में अजीत का अतुलनीय योगदान रहा है। इसके अलावा अजीत ने 40 सालों तक देश की सेवा की है।
डोभाल की शिक्षा
अजीत डोभाल ने अपनी शुरुआती पढ़ाई अजमेर के मिलिट्री स्कूल से की थी। इसके बाद इन्होंने आगरा यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में एमए किया और आईपीएस की तैयारी में जुट गए। अजीत अपनी कड़ी मेहनत के दम पर सन् 1968 में केरल कैडर से आईपीएस के लिए बने। 2005 में अजीत इंटेलिजेंस ब्यूरो के निदेशक के पद से रिटायर हुए। इसके अलावा अजीत डोभाल मिजोरम, पंजाब और कश्मीर में उग्रवाद विरोधी अभियानों में सक्रिय रूप से शामिल रहे है। फिलहाल अजीत डोभाल भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार है। इनसे पहले भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन थे।
Also Read: Acharya Chanakya Biography in Hindi: जीवन, जन्म, शिक्षा, मौत
अजीत डोभाल का करियर
सन् 1968 में अजीत डोभाल केरल कैडर से आईपीएस में चुने गए थे। उसके बाद सन् 2005 में इंटेलिजेंस ब्यूरो के निदेशक के पद से रिटायर हुए। इसके अलावा डोभाल जी मिजोरम, पंजाब और कश्मीर में उग्रवाद विरोधी अभियानों में सक्रिय रूप से शामिल रहे। भारतीय सेना के एक अहम ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार के दौरान उन्होंने एक गुप्तचर की अहम भूमिका निभाई और भारतीय सुरक्षा बलों के लिए खुफिया जानकारियां लाकर दी थी। जिससे वह सैन्य ऑपरेशन सफल हुआ। इस दौरान उन्होंने एक ऐसे पाकिस्तानी जासूस की भूमिका निभाई थी, जिसने खालिस्तानियों का भरोसा जीता और उनकी सभी तैयारियों की जानकारी उपलब्ध कराई थी।
सन् 1999 में जब इंडियन एयरलाइंस की उड़ान आईसी-814 को काठमांडू से हाईजैक किया गया। उस दौरान भी भारत की तरफ से अजीत को ही मुख्य वार्ताकार बनाया गया था। इस फ्लाइट को बाद में कंधार ले गए थे और यात्रियों को बंधक बनाया गया था।इसके अलावा अजीत डोभाल ने कश्मीर में उग्रवादी संगठनों में घुसपैठ की और उग्रवादियों को ही शांतिरक्षक बना उग्रवाद की धारा को मोड़ दिया था। भारत-विरोधी उग्रवादी कूका पारे को ही उन्होंने अपना सबसे बड़ा भेदिया बना लिया था।
80 के दशक में भी उत्तर पूर्व में अजीत डोभाल सक्रिय रहे। उस वक्त ललडेंगे के नेतृत्व में मिजो नेशनल फ्रंस ने हिंसा और अशांति फैलाई थी, लेकिन अजीत ने ललडेंगा के सात में छह कमांडरों का विश्वास जीत और उनको मजबूरी में भारत सरकार के साथ शांतिविराम का ऑप्शन अपनाना पड़ा था। सन्1991 में डोभाल ने खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट द्वारा अगवा हुए रोमानियाई राजनयिक लिविउ राडू को बचाने के लिए योजना बनाई थी, जिसमें उन्हें सफलता मिली।
कैसे बना विवेकानंद फाउंडेशन
विवेकानंद फाउंडेशन कन्याकुमारी में स्थित विवेकानंद केंद्र का एक हिस्सा है, जिसके स्थापक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एकनाथ रानाडे थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसी विचारधारा पर बना थिंक टैंक विवेकानंद फाउंडेशन वर्तमान में मोदी सरकार के लिए पड़ोसी देशों से संबंध और रणनीतिक मामलों पर इनपुट देने का कार्य करता है। जिसमें भारत के कई रिटायर्ड आईएएस, आईपीएस, साइंटिस्ट और सैन्य अफसर हैं। अजीत डोभाल के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनने के बाद एन.सी. विज को फाउंडेशन का डायरेक्टर बनाया गया।
डॉक्टरेट ऑफ लिटरेचर की मानद की मिली उपाधि
भारत के जेम्स बॉन्ड माने जाने वाले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को डॉक्टरेट ऑफ लिटरेचर की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। राज्यपाल गुरमीत सिंह ने अजीत डोभाल के यह उपाधि प्रदान की थी। जब अजीत डोभाल पंतनगर यूनिवर्सिटी के 34वें दीक्षांत समारोह में शामिल होने पहुंचे थे। उनको इंटेलिजेंस का सबसे माहिर खिलाड़ी मानते है। उनका जीवन किसी एडवेंचर फिल्म की कहानी से कम नहीं है। डोभाल 7 सालों तक पाकिस्तान में जासूस बनकर रहे। अपने जीवन में उन्होंने कई ऐसी चुनौतियों का सामना किया है। अजीत डोभाल का नाम सुनकर आज भी दुश्मन कांप जाते है।