आज के समय में भी विवाह को लेकर हमारे समाज में कोई परिवर्तन नहीं आया हैं। लोग आज भी अपनी हो जाती में शादी करना पसंद करते है और दूसरी जाति के लोगों को अपने से छोटा समझते हैं l उनकी इसी सोच को बदलने के लिए सरकार के द्वारा कई योजनाएं संचालित की जा रही है। ताकि लोगों की सोच बदले और अंतरजातीय विवाह करें। ऐसी ही एक योजना बिहार में भी शुरू की गई है, जिसका नाम अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना है। इसके माध्यम से अंतरजातीय विवाह करने पर सरकार के द्वारा आर्थिक सहायता दी जाती है।
अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना क्या है?
यह योजना बिहार सरकार के द्वारा शुरू की गई है। इसे डॉ.अंबेडकर स्कीम फॉर सोशल इंटीग्रेशन थ्रू इंटर कास्ट मैरिज भी कहा जाता हैं। अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना के जरिए उस वैवाहिक जोड़ी को आर्थिक मदद मिलती है,जो अंतरजातीय विवाह करता है। इस योजना के अंतर्गत 2.5 लाख रुपए आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। इस योजना की शुरुआत अंतरजातीय विवाह को प्रोत्साहित करने के लिए की गई है। इस विवाह प्रोत्साहन योजना के माध्यम से प्राप्त हुई राश विवाहित जोड़ी को आर्थिक मदद के तौर पर प्राप्त होगी। यह योजना सोशल जस्टिस एंड एंपावरमेंट के मिनिस्टर एवं डॉ आंबेडकर फाउंडेशन के चेयरमैन के द्वारा संचालित की जाएगी। अगर लाभार्थी के द्वारा योजना का लाभ प्राप्त करने हेतु कोई भी गलत जानकारी दी जाती है तो यह सहयता राशि लाभार्थी से वसूल कर की जाएगी। इस योजना को पहले सर्ग 2 साल के लिए ही शुरू किया गया था, लेकिन अब इसका संचालन प्रतिवर्ष किया जा रहा है।
क्या है अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना का उद्देश्य ?
बिहार सरकार के द्वारा शुरू की गई इस अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य में अंतरजातीय विवाह करने के लिए प्रोत्साहित करना है। जिससे समाज में पिछड़े वर्ग को लेकर भी समानता की धरना का विकास हो सके। इस योजना का लाभ तभी दिया जाता है जब पति और पत्नी में से कोई एक पिछड़ी जाति से संबंध रखता होगा और दूसरा का ताल्लुक गैर पिछड़ी जाति से होगा। इस योजना के माध्यम से प्राप्त हुई राशि से विवाहित जोड़ा की आर्थिक मदद होगी और वह आत्मनिर्भर एवं सशक्त बन पाएंगे। इस योजना के संचालन से अंतरजातीय विवाह में बढ़ोतरी होगी, जिससे समाज की सोच में बदलाव आएगा।
योजना के लिए जरूरी पात्रता एवं डॉक्युमेंट्स
इस योजना का लाभ लेने वाला व्यक्ति बिहार का मूल निवासी होना चाहिए। इसका लाभ उठाने हेतू पति या पत्नी में से कोई एक अनुसूचित जाति और दूसरा का गैर अनुसूचित जाति से होना ज़रूरी है। विवाह हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के तहत रजिस्टर्ड होना अनिवार्य है। इसका लाभ उठाने के लिए विवाहित जोड़े के द्वारा शादी होने का एक एफिडेविट जमा करना जरूरी है।अगर विवाह हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के अलावा किसी और एक्ट के तहत रजिस्टर्ड है,तो विवाहित जोड़े को एक सर्टिफिकेट अलग से जमा करना होगा। इसका लाभ केवल पहली शादी के लिए ही लिया जा सकता है।
इसका लाभ उठाने के लिए विवाह के 1 साल के भीतर ही आवेदन करना जरूरी है। इसके अलावा आवेदक के पास आधार कार्ड,निवास प्रमाण पत्र,आय प्रमाण पत्र,आयु प्रमाण पत्र, मैरिज सर्टिफिकेट,शादी की फोटो, शादी का कार्ड, राशन कार्ड, फोन नंबर और पासपोर्ट फोटो जैसे डॉक्युमेंट्स का होना बेहद जरूरी है।
ऐसे करें योजना के अंतर्गत आवेदन !
इस योजना में आवेदन करने के लिए सबसे पहले आपको इसकी वेबसाइड पर जाकर दिए गए फॉर्म को डाउनलोड करना होगा।अब इस आवेदन फॉर्म का प्रिंट आउट निकालना होगा। इसके बाद इसमें मांगी गई सभी जानकारियों को भरना होगा और इसके साथ ही सभी डॉक्युमेंट्स को भी अपलोड करना है। इसके बाद इस फॉर्म को संबंधित विभाग में जमा करना हैं
आज के समय में भी विवाह को लेकर हमारे समाज में कोई परिवर्तन नहीं आया हैं। लोग आज भी अपनी हो जाती में शादी करना पसंद करते है और दूसरी जाति के लोगों को अपने से छोटा समझते हैं l उनकी इसी सोच को बदलने के लिए सरकार के द्वारा कई योजनाएं संचालित की जा रही है। ताकि लोगों की सोच बदले और अंतरजातीय विवाह करें। ऐसी ही एक योजना बिहार में भी शुरू की गई है, जिसका नाम अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना है। इसके माध्यम से अंतरजातीय विवाह करने पर सरकार के द्वारा आर्थिक सहायता दी जाती है।
अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना क्या है?
यह योजना बिहार सरकार के द्वारा शुरू की गई है। इसे डॉ.अंबेडकर स्कीम फॉर सोशल इंटीग्रेशन थ्रू इंटर कास्ट मैरिज भी कहा जाता हैं। अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना के जरिए उस वैवाहिक जोड़ी को आर्थिक मदद मिलती है,जो अंतरजातीय विवाह करता है। इस योजना के अंतर्गत 2.5 लाख रुपए आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। इस योजना की शुरुआत अंतरजातीय विवाह को प्रोत्साहित करने के लिए की गई है। इस विवाह प्रोत्साहन योजना के माध्यम से प्राप्त हुई राश विवाहित जोड़ी को आर्थिक मदद के तौर पर प्राप्त होगी। यह योजना सोशल जस्टिस एंड एंपावरमेंट के मिनिस्टर एवं डॉ आंबेडकर फाउंडेशन के चेयरमैन के द्वारा संचालित की जाएगी। अगर लाभार्थी के द्वारा योजना का लाभ प्राप्त करने हेतु कोई भी गलत जानकारी दी जाती है तो यह सहयता राशि लाभार्थी से वसूल कर की जाएगी। इस योजना को पहले सर्ग 2 साल के लिए ही शुरू किया गया था, लेकिन अब इसका संचालन प्रतिवर्ष किया जा रहा है।
क्या है अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना का उद्देश्य ?
बिहार सरकार के द्वारा शुरू की गई इस अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य में अंतरजातीय विवाह करने के लिए प्रोत्साहित करना है। जिससे समाज में पिछड़े वर्ग को लेकर भी समानता की धरना का विकास हो सके। इस योजना का लाभ तभी दिया जाता है जब पति और पत्नी में से कोई एक पिछड़ी जाति से संबंध रखता होगा और दूसरा का ताल्लुक गैर पिछड़ी जाति से होगा। इस योजना के माध्यम से प्राप्त हुई राशि से विवाहित जोड़ा की आर्थिक मदद होगी और वह आत्मनिर्भर एवं सशक्त बन पाएंगे। इस योजना के संचालन से अंतरजातीय विवाह में बढ़ोतरी होगी, जिससे समाज की सोच में बदलाव आएगा।
योजना के लिए जरूरी पात्रता एवं डॉक्युमेंट्स
इस योजना का लाभ लेने वाला व्यक्ति बिहार का मूल निवासी होना चाहिए। इसका लाभ उठाने हेतू पति या पत्नी में से कोई एक अनुसूचित जाति और दूसरा का गैर अनुसूचित जाति से होना ज़रूरी है। विवाह हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के तहत रजिस्टर्ड होना अनिवार्य है। इसका लाभ उठाने के लिए विवाहित जोड़े के द्वारा शादी होने का एक एफिडेविट जमा करना जरूरी है।अगर विवाह हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के अलावा किसी और एक्ट के तहत रजिस्टर्ड है,तो विवाहित जोड़े को एक सर्टिफिकेट अलग से जमा करना होगा। इसका लाभ केवल पहली शादी के लिए ही लिया जा सकता है।
इसका लाभ उठाने के लिए विवाह के 1 साल के भीतर ही आवेदन करना जरूरी है। इसके अलावा आवेदक के पास आधार कार्ड,निवास प्रमाण पत्र,आय प्रमाण पत्र,आयु प्रमाण पत्र, मैरिज सर्टिफिकेट,शादी की फोटो, शादी का कार्ड, राशन कार्ड, फोन नंबर और पासपोर्ट फोटो जैसे डॉक्युमेंट्स का होना बेहद जरूरी है।
ऐसे करें योजना के अंतर्गत आवेदन !
इस योजना में आवेदन करने के लिए सबसे पहले आपको इसकी वेबसाइड पर जाकर दिए गए फॉर्म को डाउनलोड करना होगा।अब इस आवेदन फॉर्म का प्रिंट आउट निकालना होगा। इसके बाद इसमें मांगी गई सभी जानकारियों को भरना होगा और इसके साथ ही सभी डॉक्युमेंट्स को भी अपलोड करना है। इसके बाद इस फॉर्म को संबंधित विभाग में जमा करना हैं
आज के समय में भी विवाह को लेकर हमारे समाज में कोई परिवर्तन नहीं आया हैं। लोग आज भी अपनी हो जाती में शादी करना पसंद करते है और दूसरी जाति के लोगों को अपने से छोटा समझते हैं l उनकी इसी सोच को बदलने के लिए सरकार के द्वारा कई योजनाएं संचालित की जा रही है। ताकि लोगों की सोच बदले और अंतरजातीय विवाह करें। ऐसी ही एक योजना बिहार में भी शुरू की गई है, जिसका नाम अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना है। इसके माध्यम से अंतरजातीय विवाह करने पर सरकार के द्वारा आर्थिक सहायता दी जाती है।
अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना क्या है?
यह योजना बिहार सरकार के द्वारा शुरू की गई है। इसे डॉ.अंबेडकर स्कीम फॉर सोशल इंटीग्रेशन थ्रू इंटर कास्ट मैरिज भी कहा जाता हैं। अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना के जरिए उस वैवाहिक जोड़ी को आर्थिक मदद मिलती है,जो अंतरजातीय विवाह करता है। इस योजना के अंतर्गत 2.5 लाख रुपए आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। इस योजना की शुरुआत अंतरजातीय विवाह को प्रोत्साहित करने के लिए की गई है। इस विवाह प्रोत्साहन योजना के माध्यम से प्राप्त हुई राश विवाहित जोड़ी को आर्थिक मदद के तौर पर प्राप्त होगी। यह योजना सोशल जस्टिस एंड एंपावरमेंट के मिनिस्टर एवं डॉ आंबेडकर फाउंडेशन के चेयरमैन के द्वारा संचालित की जाएगी। अगर लाभार्थी के द्वारा योजना का लाभ प्राप्त करने हेतु कोई भी गलत जानकारी दी जाती है तो यह सहयता राशि लाभार्थी से वसूल कर की जाएगी। इस योजना को पहले सर्ग 2 साल के लिए ही शुरू किया गया था, लेकिन अब इसका संचालन प्रतिवर्ष किया जा रहा है।
क्या है अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना का उद्देश्य ?
बिहार सरकार के द्वारा शुरू की गई इस अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य में अंतरजातीय विवाह करने के लिए प्रोत्साहित करना है। जिससे समाज में पिछड़े वर्ग को लेकर भी समानता की धरना का विकास हो सके। इस योजना का लाभ तभी दिया जाता है जब पति और पत्नी में से कोई एक पिछड़ी जाति से संबंध रखता होगा और दूसरा का ताल्लुक गैर पिछड़ी जाति से होगा। इस योजना के माध्यम से प्राप्त हुई राशि से विवाहित जोड़ा की आर्थिक मदद होगी और वह आत्मनिर्भर एवं सशक्त बन पाएंगे। इस योजना के संचालन से अंतरजातीय विवाह में बढ़ोतरी होगी, जिससे समाज की सोच में बदलाव आएगा।
योजना के लिए जरूरी पात्रता एवं डॉक्युमेंट्स
इस योजना का लाभ लेने वाला व्यक्ति बिहार का मूल निवासी होना चाहिए। इसका लाभ उठाने हेतू पति या पत्नी में से कोई एक अनुसूचित जाति और दूसरा का गैर अनुसूचित जाति से होना ज़रूरी है। विवाह हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के तहत रजिस्टर्ड होना अनिवार्य है। इसका लाभ उठाने के लिए विवाहित जोड़े के द्वारा शादी होने का एक एफिडेविट जमा करना जरूरी है।अगर विवाह हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के अलावा किसी और एक्ट के तहत रजिस्टर्ड है,तो विवाहित जोड़े को एक सर्टिफिकेट अलग से जमा करना होगा। इसका लाभ केवल पहली शादी के लिए ही लिया जा सकता है।
इसका लाभ उठाने के लिए विवाह के 1 साल के भीतर ही आवेदन करना जरूरी है। इसके अलावा आवेदक के पास आधार कार्ड,निवास प्रमाण पत्र,आय प्रमाण पत्र,आयु प्रमाण पत्र, मैरिज सर्टिफिकेट,शादी की फोटो, शादी का कार्ड, राशन कार्ड, फोन नंबर और पासपोर्ट फोटो जैसे डॉक्युमेंट्स का होना बेहद जरूरी है।
ऐसे करें योजना के अंतर्गत आवेदन !
इस योजना में आवेदन करने के लिए सबसे पहले आपको इसकी वेबसाइड पर जाकर दिए गए फॉर्म को डाउनलोड करना होगा।अब इस आवेदन फॉर्म का प्रिंट आउट निकालना होगा। इसके बाद इसमें मांगी गई सभी जानकारियों को भरना होगा और इसके साथ ही सभी डॉक्युमेंट्स को भी अपलोड करना है। इसके बाद इस फॉर्म को संबंधित विभाग में जमा करना हैं
आज के समय में भी विवाह को लेकर हमारे समाज में कोई परिवर्तन नहीं आया हैं। लोग आज भी अपनी हो जाती में शादी करना पसंद करते है और दूसरी जाति के लोगों को अपने से छोटा समझते हैं l उनकी इसी सोच को बदलने के लिए सरकार के द्वारा कई योजनाएं संचालित की जा रही है। ताकि लोगों की सोच बदले और अंतरजातीय विवाह करें। ऐसी ही एक योजना बिहार में भी शुरू की गई है, जिसका नाम अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना है। इसके माध्यम से अंतरजातीय विवाह करने पर सरकार के द्वारा आर्थिक सहायता दी जाती है।
अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना क्या है?
यह योजना बिहार सरकार के द्वारा शुरू की गई है। इसे डॉ.अंबेडकर स्कीम फॉर सोशल इंटीग्रेशन थ्रू इंटर कास्ट मैरिज भी कहा जाता हैं। अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना के जरिए उस वैवाहिक जोड़ी को आर्थिक मदद मिलती है,जो अंतरजातीय विवाह करता है। इस योजना के अंतर्गत 2.5 लाख रुपए आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। इस योजना की शुरुआत अंतरजातीय विवाह को प्रोत्साहित करने के लिए की गई है। इस विवाह प्रोत्साहन योजना के माध्यम से प्राप्त हुई राश विवाहित जोड़ी को आर्थिक मदद के तौर पर प्राप्त होगी। यह योजना सोशल जस्टिस एंड एंपावरमेंट के मिनिस्टर एवं डॉ आंबेडकर फाउंडेशन के चेयरमैन के द्वारा संचालित की जाएगी। अगर लाभार्थी के द्वारा योजना का लाभ प्राप्त करने हेतु कोई भी गलत जानकारी दी जाती है तो यह सहयता राशि लाभार्थी से वसूल कर की जाएगी। इस योजना को पहले सर्ग 2 साल के लिए ही शुरू किया गया था, लेकिन अब इसका संचालन प्रतिवर्ष किया जा रहा है।
क्या है अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना का उद्देश्य ?
बिहार सरकार के द्वारा शुरू की गई इस अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य में अंतरजातीय विवाह करने के लिए प्रोत्साहित करना है। जिससे समाज में पिछड़े वर्ग को लेकर भी समानता की धरना का विकास हो सके। इस योजना का लाभ तभी दिया जाता है जब पति और पत्नी में से कोई एक पिछड़ी जाति से संबंध रखता होगा और दूसरा का ताल्लुक गैर पिछड़ी जाति से होगा। इस योजना के माध्यम से प्राप्त हुई राशि से विवाहित जोड़ा की आर्थिक मदद होगी और वह आत्मनिर्भर एवं सशक्त बन पाएंगे। इस योजना के संचालन से अंतरजातीय विवाह में बढ़ोतरी होगी, जिससे समाज की सोच में बदलाव आएगा।
योजना के लिए जरूरी पात्रता एवं डॉक्युमेंट्स
इस योजना का लाभ लेने वाला व्यक्ति बिहार का मूल निवासी होना चाहिए। इसका लाभ उठाने हेतू पति या पत्नी में से कोई एक अनुसूचित जाति और दूसरा का गैर अनुसूचित जाति से होना ज़रूरी है। विवाह हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के तहत रजिस्टर्ड होना अनिवार्य है। इसका लाभ उठाने के लिए विवाहित जोड़े के द्वारा शादी होने का एक एफिडेविट जमा करना जरूरी है।अगर विवाह हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के अलावा किसी और एक्ट के तहत रजिस्टर्ड है,तो विवाहित जोड़े को एक सर्टिफिकेट अलग से जमा करना होगा। इसका लाभ केवल पहली शादी के लिए ही लिया जा सकता है।
इसका लाभ उठाने के लिए विवाह के 1 साल के भीतर ही आवेदन करना जरूरी है। इसके अलावा आवेदक के पास आधार कार्ड,निवास प्रमाण पत्र,आय प्रमाण पत्र,आयु प्रमाण पत्र, मैरिज सर्टिफिकेट,शादी की फोटो, शादी का कार्ड, राशन कार्ड, फोन नंबर और पासपोर्ट फोटो जैसे डॉक्युमेंट्स का होना बेहद जरूरी है।
ऐसे करें योजना के अंतर्गत आवेदन !
इस योजना में आवेदन करने के लिए सबसे पहले आपको इसकी वेबसाइड पर जाकर दिए गए फॉर्म को डाउनलोड करना होगा।अब इस आवेदन फॉर्म का प्रिंट आउट निकालना होगा। इसके बाद इसमें मांगी गई सभी जानकारियों को भरना होगा और इसके साथ ही सभी डॉक्युमेंट्स को भी अपलोड करना है। इसके बाद इस फॉर्म को संबंधित विभाग में जमा करना हैं
आज के समय में भी विवाह को लेकर हमारे समाज में कोई परिवर्तन नहीं आया हैं। लोग आज भी अपनी हो जाती में शादी करना पसंद करते है और दूसरी जाति के लोगों को अपने से छोटा समझते हैं l उनकी इसी सोच को बदलने के लिए सरकार के द्वारा कई योजनाएं संचालित की जा रही है। ताकि लोगों की सोच बदले और अंतरजातीय विवाह करें। ऐसी ही एक योजना बिहार में भी शुरू की गई है, जिसका नाम अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना है। इसके माध्यम से अंतरजातीय विवाह करने पर सरकार के द्वारा आर्थिक सहायता दी जाती है।
अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना क्या है?
यह योजना बिहार सरकार के द्वारा शुरू की गई है। इसे डॉ.अंबेडकर स्कीम फॉर सोशल इंटीग्रेशन थ्रू इंटर कास्ट मैरिज भी कहा जाता हैं। अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना के जरिए उस वैवाहिक जोड़ी को आर्थिक मदद मिलती है,जो अंतरजातीय विवाह करता है। इस योजना के अंतर्गत 2.5 लाख रुपए आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। इस योजना की शुरुआत अंतरजातीय विवाह को प्रोत्साहित करने के लिए की गई है। इस विवाह प्रोत्साहन योजना के माध्यम से प्राप्त हुई राश विवाहित जोड़ी को आर्थिक मदद के तौर पर प्राप्त होगी। यह योजना सोशल जस्टिस एंड एंपावरमेंट के मिनिस्टर एवं डॉ आंबेडकर फाउंडेशन के चेयरमैन के द्वारा संचालित की जाएगी। अगर लाभार्थी के द्वारा योजना का लाभ प्राप्त करने हेतु कोई भी गलत जानकारी दी जाती है तो यह सहयता राशि लाभार्थी से वसूल कर की जाएगी। इस योजना को पहले सर्ग 2 साल के लिए ही शुरू किया गया था, लेकिन अब इसका संचालन प्रतिवर्ष किया जा रहा है।
क्या है अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना का उद्देश्य ?
बिहार सरकार के द्वारा शुरू की गई इस अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य में अंतरजातीय विवाह करने के लिए प्रोत्साहित करना है। जिससे समाज में पिछड़े वर्ग को लेकर भी समानता की धरना का विकास हो सके। इस योजना का लाभ तभी दिया जाता है जब पति और पत्नी में से कोई एक पिछड़ी जाति से संबंध रखता होगा और दूसरा का ताल्लुक गैर पिछड़ी जाति से होगा। इस योजना के माध्यम से प्राप्त हुई राशि से विवाहित जोड़ा की आर्थिक मदद होगी और वह आत्मनिर्भर एवं सशक्त बन पाएंगे। इस योजना के संचालन से अंतरजातीय विवाह में बढ़ोतरी होगी, जिससे समाज की सोच में बदलाव आएगा।
योजना के लिए जरूरी पात्रता एवं डॉक्युमेंट्स
इस योजना का लाभ लेने वाला व्यक्ति बिहार का मूल निवासी होना चाहिए। इसका लाभ उठाने हेतू पति या पत्नी में से कोई एक अनुसूचित जाति और दूसरा का गैर अनुसूचित जाति से होना ज़रूरी है। विवाह हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के तहत रजिस्टर्ड होना अनिवार्य है। इसका लाभ उठाने के लिए विवाहित जोड़े के द्वारा शादी होने का एक एफिडेविट जमा करना जरूरी है।अगर विवाह हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के अलावा किसी और एक्ट के तहत रजिस्टर्ड है,तो विवाहित जोड़े को एक सर्टिफिकेट अलग से जमा करना होगा। इसका लाभ केवल पहली शादी के लिए ही लिया जा सकता है।
इसका लाभ उठाने के लिए विवाह के 1 साल के भीतर ही आवेदन करना जरूरी है। इसके अलावा आवेदक के पास आधार कार्ड,निवास प्रमाण पत्र,आय प्रमाण पत्र,आयु प्रमाण पत्र, मैरिज सर्टिफिकेट,शादी की फोटो, शादी का कार्ड, राशन कार्ड, फोन नंबर और पासपोर्ट फोटो जैसे डॉक्युमेंट्स का होना बेहद जरूरी है।
ऐसे करें योजना के अंतर्गत आवेदन !
इस योजना में आवेदन करने के लिए सबसे पहले आपको इसकी वेबसाइड पर जाकर दिए गए फॉर्म को डाउनलोड करना होगा।अब इस आवेदन फॉर्म का प्रिंट आउट निकालना होगा। इसके बाद इसमें मांगी गई सभी जानकारियों को भरना होगा और इसके साथ ही सभी डॉक्युमेंट्स को भी अपलोड करना है। इसके बाद इस फॉर्म को संबंधित विभाग में जमा करना हैं
आज के समय में भी विवाह को लेकर हमारे समाज में कोई परिवर्तन नहीं आया हैं। लोग आज भी अपनी हो जाती में शादी करना पसंद करते है और दूसरी जाति के लोगों को अपने से छोटा समझते हैं l उनकी इसी सोच को बदलने के लिए सरकार के द्वारा कई योजनाएं संचालित की जा रही है। ताकि लोगों की सोच बदले और अंतरजातीय विवाह करें। ऐसी ही एक योजना बिहार में भी शुरू की गई है, जिसका नाम अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना है। इसके माध्यम से अंतरजातीय विवाह करने पर सरकार के द्वारा आर्थिक सहायता दी जाती है।
अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना क्या है?
यह योजना बिहार सरकार के द्वारा शुरू की गई है। इसे डॉ.अंबेडकर स्कीम फॉर सोशल इंटीग्रेशन थ्रू इंटर कास्ट मैरिज भी कहा जाता हैं। अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना के जरिए उस वैवाहिक जोड़ी को आर्थिक मदद मिलती है,जो अंतरजातीय विवाह करता है। इस योजना के अंतर्गत 2.5 लाख रुपए आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। इस योजना की शुरुआत अंतरजातीय विवाह को प्रोत्साहित करने के लिए की गई है। इस विवाह प्रोत्साहन योजना के माध्यम से प्राप्त हुई राश विवाहित जोड़ी को आर्थिक मदद के तौर पर प्राप्त होगी। यह योजना सोशल जस्टिस एंड एंपावरमेंट के मिनिस्टर एवं डॉ आंबेडकर फाउंडेशन के चेयरमैन के द्वारा संचालित की जाएगी। अगर लाभार्थी के द्वारा योजना का लाभ प्राप्त करने हेतु कोई भी गलत जानकारी दी जाती है तो यह सहयता राशि लाभार्थी से वसूल कर की जाएगी। इस योजना को पहले सर्ग 2 साल के लिए ही शुरू किया गया था, लेकिन अब इसका संचालन प्रतिवर्ष किया जा रहा है।
क्या है अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना का उद्देश्य ?
बिहार सरकार के द्वारा शुरू की गई इस अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य में अंतरजातीय विवाह करने के लिए प्रोत्साहित करना है। जिससे समाज में पिछड़े वर्ग को लेकर भी समानता की धरना का विकास हो सके। इस योजना का लाभ तभी दिया जाता है जब पति और पत्नी में से कोई एक पिछड़ी जाति से संबंध रखता होगा और दूसरा का ताल्लुक गैर पिछड़ी जाति से होगा। इस योजना के माध्यम से प्राप्त हुई राशि से विवाहित जोड़ा की आर्थिक मदद होगी और वह आत्मनिर्भर एवं सशक्त बन पाएंगे। इस योजना के संचालन से अंतरजातीय विवाह में बढ़ोतरी होगी, जिससे समाज की सोच में बदलाव आएगा।
योजना के लिए जरूरी पात्रता एवं डॉक्युमेंट्स
इस योजना का लाभ लेने वाला व्यक्ति बिहार का मूल निवासी होना चाहिए। इसका लाभ उठाने हेतू पति या पत्नी में से कोई एक अनुसूचित जाति और दूसरा का गैर अनुसूचित जाति से होना ज़रूरी है। विवाह हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के तहत रजिस्टर्ड होना अनिवार्य है। इसका लाभ उठाने के लिए विवाहित जोड़े के द्वारा शादी होने का एक एफिडेविट जमा करना जरूरी है।अगर विवाह हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के अलावा किसी और एक्ट के तहत रजिस्टर्ड है,तो विवाहित जोड़े को एक सर्टिफिकेट अलग से जमा करना होगा। इसका लाभ केवल पहली शादी के लिए ही लिया जा सकता है।
इसका लाभ उठाने के लिए विवाह के 1 साल के भीतर ही आवेदन करना जरूरी है। इसके अलावा आवेदक के पास आधार कार्ड,निवास प्रमाण पत्र,आय प्रमाण पत्र,आयु प्रमाण पत्र, मैरिज सर्टिफिकेट,शादी की फोटो, शादी का कार्ड, राशन कार्ड, फोन नंबर और पासपोर्ट फोटो जैसे डॉक्युमेंट्स का होना बेहद जरूरी है।
ऐसे करें योजना के अंतर्गत आवेदन !
इस योजना में आवेदन करने के लिए सबसे पहले आपको इसकी वेबसाइड पर जाकर दिए गए फॉर्म को डाउनलोड करना होगा।अब इस आवेदन फॉर्म का प्रिंट आउट निकालना होगा। इसके बाद इसमें मांगी गई सभी जानकारियों को भरना होगा और इसके साथ ही सभी डॉक्युमेंट्स को भी अपलोड करना है। इसके बाद इस फॉर्म को संबंधित विभाग में जमा करना हैं
आज के समय में भी विवाह को लेकर हमारे समाज में कोई परिवर्तन नहीं आया हैं। लोग आज भी अपनी हो जाती में शादी करना पसंद करते है और दूसरी जाति के लोगों को अपने से छोटा समझते हैं l उनकी इसी सोच को बदलने के लिए सरकार के द्वारा कई योजनाएं संचालित की जा रही है। ताकि लोगों की सोच बदले और अंतरजातीय विवाह करें। ऐसी ही एक योजना बिहार में भी शुरू की गई है, जिसका नाम अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना है। इसके माध्यम से अंतरजातीय विवाह करने पर सरकार के द्वारा आर्थिक सहायता दी जाती है।
अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना क्या है?
यह योजना बिहार सरकार के द्वारा शुरू की गई है। इसे डॉ.अंबेडकर स्कीम फॉर सोशल इंटीग्रेशन थ्रू इंटर कास्ट मैरिज भी कहा जाता हैं। अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना के जरिए उस वैवाहिक जोड़ी को आर्थिक मदद मिलती है,जो अंतरजातीय विवाह करता है। इस योजना के अंतर्गत 2.5 लाख रुपए आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। इस योजना की शुरुआत अंतरजातीय विवाह को प्रोत्साहित करने के लिए की गई है। इस विवाह प्रोत्साहन योजना के माध्यम से प्राप्त हुई राश विवाहित जोड़ी को आर्थिक मदद के तौर पर प्राप्त होगी। यह योजना सोशल जस्टिस एंड एंपावरमेंट के मिनिस्टर एवं डॉ आंबेडकर फाउंडेशन के चेयरमैन के द्वारा संचालित की जाएगी। अगर लाभार्थी के द्वारा योजना का लाभ प्राप्त करने हेतु कोई भी गलत जानकारी दी जाती है तो यह सहयता राशि लाभार्थी से वसूल कर की जाएगी। इस योजना को पहले सर्ग 2 साल के लिए ही शुरू किया गया था, लेकिन अब इसका संचालन प्रतिवर्ष किया जा रहा है।
क्या है अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना का उद्देश्य ?
बिहार सरकार के द्वारा शुरू की गई इस अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य में अंतरजातीय विवाह करने के लिए प्रोत्साहित करना है। जिससे समाज में पिछड़े वर्ग को लेकर भी समानता की धरना का विकास हो सके। इस योजना का लाभ तभी दिया जाता है जब पति और पत्नी में से कोई एक पिछड़ी जाति से संबंध रखता होगा और दूसरा का ताल्लुक गैर पिछड़ी जाति से होगा। इस योजना के माध्यम से प्राप्त हुई राशि से विवाहित जोड़ा की आर्थिक मदद होगी और वह आत्मनिर्भर एवं सशक्त बन पाएंगे। इस योजना के संचालन से अंतरजातीय विवाह में बढ़ोतरी होगी, जिससे समाज की सोच में बदलाव आएगा।
योजना के लिए जरूरी पात्रता एवं डॉक्युमेंट्स
इस योजना का लाभ लेने वाला व्यक्ति बिहार का मूल निवासी होना चाहिए। इसका लाभ उठाने हेतू पति या पत्नी में से कोई एक अनुसूचित जाति और दूसरा का गैर अनुसूचित जाति से होना ज़रूरी है। विवाह हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के तहत रजिस्टर्ड होना अनिवार्य है। इसका लाभ उठाने के लिए विवाहित जोड़े के द्वारा शादी होने का एक एफिडेविट जमा करना जरूरी है।अगर विवाह हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के अलावा किसी और एक्ट के तहत रजिस्टर्ड है,तो विवाहित जोड़े को एक सर्टिफिकेट अलग से जमा करना होगा। इसका लाभ केवल पहली शादी के लिए ही लिया जा सकता है।
इसका लाभ उठाने के लिए विवाह के 1 साल के भीतर ही आवेदन करना जरूरी है। इसके अलावा आवेदक के पास आधार कार्ड,निवास प्रमाण पत्र,आय प्रमाण पत्र,आयु प्रमाण पत्र, मैरिज सर्टिफिकेट,शादी की फोटो, शादी का कार्ड, राशन कार्ड, फोन नंबर और पासपोर्ट फोटो जैसे डॉक्युमेंट्स का होना बेहद जरूरी है।
ऐसे करें योजना के अंतर्गत आवेदन !
इस योजना में आवेदन करने के लिए सबसे पहले आपको इसकी वेबसाइड पर जाकर दिए गए फॉर्म को डाउनलोड करना होगा।अब इस आवेदन फॉर्म का प्रिंट आउट निकालना होगा। इसके बाद इसमें मांगी गई सभी जानकारियों को भरना होगा और इसके साथ ही सभी डॉक्युमेंट्स को भी अपलोड करना है। इसके बाद इस फॉर्म को संबंधित विभाग में जमा करना हैं
आज के समय में भी विवाह को लेकर हमारे समाज में कोई परिवर्तन नहीं आया हैं। लोग आज भी अपनी हो जाती में शादी करना पसंद करते है और दूसरी जाति के लोगों को अपने से छोटा समझते हैं l उनकी इसी सोच को बदलने के लिए सरकार के द्वारा कई योजनाएं संचालित की जा रही है। ताकि लोगों की सोच बदले और अंतरजातीय विवाह करें। ऐसी ही एक योजना बिहार में भी शुरू की गई है, जिसका नाम अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना है। इसके माध्यम से अंतरजातीय विवाह करने पर सरकार के द्वारा आर्थिक सहायता दी जाती है।
अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना क्या है?
यह योजना बिहार सरकार के द्वारा शुरू की गई है। इसे डॉ.अंबेडकर स्कीम फॉर सोशल इंटीग्रेशन थ्रू इंटर कास्ट मैरिज भी कहा जाता हैं। अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना के जरिए उस वैवाहिक जोड़ी को आर्थिक मदद मिलती है,जो अंतरजातीय विवाह करता है। इस योजना के अंतर्गत 2.5 लाख रुपए आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। इस योजना की शुरुआत अंतरजातीय विवाह को प्रोत्साहित करने के लिए की गई है। इस विवाह प्रोत्साहन योजना के माध्यम से प्राप्त हुई राश विवाहित जोड़ी को आर्थिक मदद के तौर पर प्राप्त होगी। यह योजना सोशल जस्टिस एंड एंपावरमेंट के मिनिस्टर एवं डॉ आंबेडकर फाउंडेशन के चेयरमैन के द्वारा संचालित की जाएगी। अगर लाभार्थी के द्वारा योजना का लाभ प्राप्त करने हेतु कोई भी गलत जानकारी दी जाती है तो यह सहयता राशि लाभार्थी से वसूल कर की जाएगी। इस योजना को पहले सर्ग 2 साल के लिए ही शुरू किया गया था, लेकिन अब इसका संचालन प्रतिवर्ष किया जा रहा है।
क्या है अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना का उद्देश्य ?
बिहार सरकार के द्वारा शुरू की गई इस अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य में अंतरजातीय विवाह करने के लिए प्रोत्साहित करना है। जिससे समाज में पिछड़े वर्ग को लेकर भी समानता की धरना का विकास हो सके। इस योजना का लाभ तभी दिया जाता है जब पति और पत्नी में से कोई एक पिछड़ी जाति से संबंध रखता होगा और दूसरा का ताल्लुक गैर पिछड़ी जाति से होगा। इस योजना के माध्यम से प्राप्त हुई राशि से विवाहित जोड़ा की आर्थिक मदद होगी और वह आत्मनिर्भर एवं सशक्त बन पाएंगे। इस योजना के संचालन से अंतरजातीय विवाह में बढ़ोतरी होगी, जिससे समाज की सोच में बदलाव आएगा।
योजना के लिए जरूरी पात्रता एवं डॉक्युमेंट्स
इस योजना का लाभ लेने वाला व्यक्ति बिहार का मूल निवासी होना चाहिए। इसका लाभ उठाने हेतू पति या पत्नी में से कोई एक अनुसूचित जाति और दूसरा का गैर अनुसूचित जाति से होना ज़रूरी है। विवाह हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के तहत रजिस्टर्ड होना अनिवार्य है। इसका लाभ उठाने के लिए विवाहित जोड़े के द्वारा शादी होने का एक एफिडेविट जमा करना जरूरी है।अगर विवाह हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के अलावा किसी और एक्ट के तहत रजिस्टर्ड है,तो विवाहित जोड़े को एक सर्टिफिकेट अलग से जमा करना होगा। इसका लाभ केवल पहली शादी के लिए ही लिया जा सकता है।
इसका लाभ उठाने के लिए विवाह के 1 साल के भीतर ही आवेदन करना जरूरी है। इसके अलावा आवेदक के पास आधार कार्ड,निवास प्रमाण पत्र,आय प्रमाण पत्र,आयु प्रमाण पत्र, मैरिज सर्टिफिकेट,शादी की फोटो, शादी का कार्ड, राशन कार्ड, फोन नंबर और पासपोर्ट फोटो जैसे डॉक्युमेंट्स का होना बेहद जरूरी है।
ऐसे करें योजना के अंतर्गत आवेदन !
इस योजना में आवेदन करने के लिए सबसे पहले आपको इसकी वेबसाइड पर जाकर दिए गए फॉर्म को डाउनलोड करना होगा।अब इस आवेदन फॉर्म का प्रिंट आउट निकालना होगा। इसके बाद इसमें मांगी गई सभी जानकारियों को भरना होगा और इसके साथ ही सभी डॉक्युमेंट्स को भी अपलोड करना है। इसके बाद इस फॉर्म को संबंधित विभाग में जमा करना हैं
अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना क्या है?
यह योजना बिहार सरकार के द्वारा शुरू की गई है। इसे डॉ.अंबेडकर स्कीम फॉर सोशल इंटीग्रेशन थ्रू इंटर कास्ट मैरिज भी कहा जाता हैं। अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना के जरिए उस वैवाहिक जोड़ी को आर्थिक मदद मिलती है,जो अंतरजातीय विवाह करता है। इस योजना के अंतर्गत 2.5 लाख रुपए आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। इस योजना की शुरुआत अंतरजातीय विवाह को प्रोत्साहित करने के लिए की गई है। इस विवाह प्रोत्साहन योजना के माध्यम से प्राप्त हुई राश विवाहित जोड़ी को आर्थिक मदद के तौर पर प्राप्त होगी। यह योजना सोशल जस्टिस एंड एंपावरमेंट के मिनिस्टर एवं डॉ आंबेडकर फाउंडेशन के चेयरमैन के द्वारा संचालित की जाएगी। अगर लाभार्थी के द्वारा योजना का लाभ प्राप्त करने हेतु कोई भी गलत जानकारी दी जाती है तो यह सहयता राशि लाभार्थी से वसूल कर की जाएगी। इस योजना को पहले सर्ग 2 साल के लिए ही शुरू किया गया था, लेकिन अब इसका संचालन प्रतिवर्ष किया जा रहा है।
क्या है अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना का उद्देश्य ?
बिहार सरकार के द्वारा शुरू की गई इस अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य में अंतरजातीय विवाह करने के लिए प्रोत्साहित करना है। जिससे समाज में पिछड़े वर्ग को लेकर भी समानता की धरना का विकास हो सके। इस योजना का लाभ तभी दिया जाता है जब पति और पत्नी में से कोई एक पिछड़ी जाति से संबंध रखता होगा और दूसरा का ताल्लुक गैर पिछड़ी जाति से होगा। इस योजना के माध्यम से प्राप्त हुई राशि से विवाहित जोड़ा की आर्थिक मदद होगी और वह आत्मनिर्भर एवं सशक्त बन पाएंगे। इस योजना के संचालन से अंतरजातीय विवाह में बढ़ोतरी होगी, जिससे समाज की सोच में बदलाव आएगा।
योजना के लिए जरूरी पात्रता एवं डॉक्युमेंट्स
इस योजना का लाभ लेने वाला व्यक्ति बिहार का मूल निवासी होना चाहिए। इसका लाभ उठाने हेतू पति या पत्नी में से कोई एक अनुसूचित जाति और दूसरा का गैर अनुसूचित जाति से होना ज़रूरी है। विवाह हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के तहत रजिस्टर्ड होना अनिवार्य है। इसका लाभ उठाने के लिए विवाहित जोड़े के द्वारा शादी होने का एक एफिडेविट जमा करना जरूरी है।अगर विवाह हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के अलावा किसी और एक्ट के तहत रजिस्टर्ड है,तो विवाहित जोड़े को एक सर्टिफिकेट अलग से जमा करना होगा। इसका लाभ केवल पहली शादी के लिए ही लिया जा सकता है।
इसका लाभ उठाने के लिए विवाह के 1 साल के भीतर ही आवेदन करना जरूरी है। इसके अलावा आवेदक के पास आधार कार्ड,निवास प्रमाण पत्र,आय प्रमाण पत्र,आयु प्रमाण पत्र, मैरिज सर्टिफिकेट,शादी की फोटो, शादी का कार्ड, राशन कार्ड, फोन नंबर और पासपोर्ट फोटो जैसे डॉक्युमेंट्स का होना बेहद जरूरी है।
ऐसे करें योजना के अंतर्गत आवेदन !
इस योजना में आवेदन करने के लिए सबसे पहले आपको इसकी वेबसाइड पर जाकर दिए गए फॉर्म को डाउनलोड करना होगा।अब इस आवेदन फॉर्म का प्रिंट आउट निकालना होगा। इसके बाद इसमें मांगी गई सभी जानकारियों को भरना होगा और इसके साथ ही सभी डॉक्युमेंट्स को भी अपलोड करना है। इसके बाद इस फॉर्म को संबंधित विभाग में जमा करना हैं
अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना क्या है?
यह योजना बिहार सरकार के द्वारा शुरू की गई है। इसे डॉ.अंबेडकर स्कीम फॉर सोशल इंटीग्रेशन थ्रू इंटर कास्ट मैरिज भी कहा जाता हैं। अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना के जरिए उस वैवाहिक जोड़ी को आर्थिक मदद मिलती है,जो अंतरजातीय विवाह करता है। इस योजना के अंतर्गत 2.5 लाख रुपए आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। इस योजना की शुरुआत अंतरजातीय विवाह को प्रोत्साहित करने के लिए की गई है। इस विवाह प्रोत्साहन योजना के माध्यम से प्राप्त हुई राश विवाहित जोड़ी को आर्थिक मदद के तौर पर प्राप्त होगी। यह योजना सोशल जस्टिस एंड एंपावरमेंट के मिनिस्टर एवं डॉ आंबेडकर फाउंडेशन के चेयरमैन के द्वारा संचालित की जाएगी। अगर लाभार्थी के द्वारा योजना का लाभ प्राप्त करने हेतु कोई भी गलत जानकारी दी जाती है तो यह सहयता राशि लाभार्थी से वसूल कर की जाएगी। इस योजना को पहले सर्ग 2 साल के लिए ही शुरू किया गया था, लेकिन अब इसका संचालन प्रतिवर्ष किया जा रहा है।
क्या है अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना का उद्देश्य ?
बिहार सरकार के द्वारा शुरू की गई इस अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य में अंतरजातीय विवाह करने के लिए प्रोत्साहित करना है। जिससे समाज में पिछड़े वर्ग को लेकर भी समानता की धरना का विकास हो सके। इस योजना का लाभ तभी दिया जाता है जब पति और पत्नी में से कोई एक पिछड़ी जाति से संबंध रखता होगा और दूसरा का ताल्लुक गैर पिछड़ी जाति से होगा। इस योजना के माध्यम से प्राप्त हुई राशि से विवाहित जोड़ा की आर्थिक मदद होगी और वह आत्मनिर्भर एवं सशक्त बन पाएंगे। इस योजना के संचालन से अंतरजातीय विवाह में बढ़ोतरी होगी, जिससे समाज की सोच में बदलाव आएगा।
योजना के लिए जरूरी पात्रता एवं डॉक्युमेंट्स
इस योजना का लाभ लेने वाला व्यक्ति बिहार का मूल निवासी होना चाहिए। इसका लाभ उठाने हेतू पति या पत्नी में से कोई एक अनुसूचित जाति और दूसरा का गैर अनुसूचित जाति से होना ज़रूरी है। विवाह हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के तहत रजिस्टर्ड होना अनिवार्य है। इसका लाभ उठाने के लिए विवाहित जोड़े के द्वारा शादी होने का एक एफिडेविट जमा करना जरूरी है।अगर विवाह हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के अलावा किसी और एक्ट के तहत रजिस्टर्ड है,तो विवाहित जोड़े को एक सर्टिफिकेट अलग से जमा करना होगा। इसका लाभ केवल पहली शादी के लिए ही लिया जा सकता है।
इसका लाभ उठाने के लिए विवाह के 1 साल के भीतर ही आवेदन करना जरूरी है। इसके अलावा आवेदक के पास आधार कार्ड,निवास प्रमाण पत्र,आय प्रमाण पत्र,आयु प्रमाण पत्र, मैरिज सर्टिफिकेट,शादी की फोटो, शादी का कार्ड, राशन कार्ड, फोन नंबर और पासपोर्ट फोटो जैसे डॉक्युमेंट्स का होना बेहद जरूरी है।
ऐसे करें योजना के अंतर्गत आवेदन !
इस योजना में आवेदन करने के लिए सबसे पहले आपको इसकी वेबसाइड पर जाकर दिए गए फॉर्म को डाउनलोड करना होगा।अब इस आवेदन फॉर्म का प्रिंट आउट निकालना होगा। इसके बाद इसमें मांगी गई सभी जानकारियों को भरना होगा और इसके साथ ही सभी डॉक्युमेंट्स को भी अपलोड करना है। इसके बाद इस फॉर्म को संबंधित विभाग में जमा करना हैं
अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना क्या है?
यह योजना बिहार सरकार के द्वारा शुरू की गई है। इसे डॉ.अंबेडकर स्कीम फॉर सोशल इंटीग्रेशन थ्रू इंटर कास्ट मैरिज भी कहा जाता हैं। अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना के जरिए उस वैवाहिक जोड़ी को आर्थिक मदद मिलती है,जो अंतरजातीय विवाह करता है। इस योजना के अंतर्गत 2.5 लाख रुपए आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। इस योजना की शुरुआत अंतरजातीय विवाह को प्रोत्साहित करने के लिए की गई है। इस विवाह प्रोत्साहन योजना के माध्यम से प्राप्त हुई राश विवाहित जोड़ी को आर्थिक मदद के तौर पर प्राप्त होगी। यह योजना सोशल जस्टिस एंड एंपावरमेंट के मिनिस्टर एवं डॉ आंबेडकर फाउंडेशन के चेयरमैन के द्वारा संचालित की जाएगी। अगर लाभार्थी के द्वारा योजना का लाभ प्राप्त करने हेतु कोई भी गलत जानकारी दी जाती है तो यह सहयता राशि लाभार्थी से वसूल कर की जाएगी। इस योजना को पहले सर्ग 2 साल के लिए ही शुरू किया गया था, लेकिन अब इसका संचालन प्रतिवर्ष किया जा रहा है।
क्या है अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना का उद्देश्य ?
बिहार सरकार के द्वारा शुरू की गई इस अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य में अंतरजातीय विवाह करने के लिए प्रोत्साहित करना है। जिससे समाज में पिछड़े वर्ग को लेकर भी समानता की धरना का विकास हो सके। इस योजना का लाभ तभी दिया जाता है जब पति और पत्नी में से कोई एक पिछड़ी जाति से संबंध रखता होगा और दूसरा का ताल्लुक गैर पिछड़ी जाति से होगा। इस योजना के माध्यम से प्राप्त हुई राशि से विवाहित जोड़ा की आर्थिक मदद होगी और वह आत्मनिर्भर एवं सशक्त बन पाएंगे। इस योजना के संचालन से अंतरजातीय विवाह में बढ़ोतरी होगी, जिससे समाज की सोच में बदलाव आएगा।
योजना के लिए जरूरी पात्रता एवं डॉक्युमेंट्स
इस योजना का लाभ लेने वाला व्यक्ति बिहार का मूल निवासी होना चाहिए। इसका लाभ उठाने हेतू पति या पत्नी में से कोई एक अनुसूचित जाति और दूसरा का गैर अनुसूचित जाति से होना ज़रूरी है। विवाह हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के तहत रजिस्टर्ड होना अनिवार्य है। इसका लाभ उठाने के लिए विवाहित जोड़े के द्वारा शादी होने का एक एफिडेविट जमा करना जरूरी है।अगर विवाह हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के अलावा किसी और एक्ट के तहत रजिस्टर्ड है,तो विवाहित जोड़े को एक सर्टिफिकेट अलग से जमा करना होगा। इसका लाभ केवल पहली शादी के लिए ही लिया जा सकता है।
इसका लाभ उठाने के लिए विवाह के 1 साल के भीतर ही आवेदन करना जरूरी है। इसके अलावा आवेदक के पास आधार कार्ड,निवास प्रमाण पत्र,आय प्रमाण पत्र,आयु प्रमाण पत्र, मैरिज सर्टिफिकेट,शादी की फोटो, शादी का कार्ड, राशन कार्ड, फोन नंबर और पासपोर्ट फोटो जैसे डॉक्युमेंट्स का होना बेहद जरूरी है।
ऐसे करें योजना के अंतर्गत आवेदन !
इस योजना में आवेदन करने के लिए सबसे पहले आपको इसकी वेबसाइड पर जाकर दिए गए फॉर्म को डाउनलोड करना होगा।अब इस आवेदन फॉर्म का प्रिंट आउट निकालना होगा। इसके बाद इसमें मांगी गई सभी जानकारियों को भरना होगा और इसके साथ ही सभी डॉक्युमेंट्स को भी अपलोड करना है। इसके बाद इस फॉर्म को संबंधित विभाग में जमा करना हैं
अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना क्या है?
यह योजना बिहार सरकार के द्वारा शुरू की गई है। इसे डॉ.अंबेडकर स्कीम फॉर सोशल इंटीग्रेशन थ्रू इंटर कास्ट मैरिज भी कहा जाता हैं। अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना के जरिए उस वैवाहिक जोड़ी को आर्थिक मदद मिलती है,जो अंतरजातीय विवाह करता है। इस योजना के अंतर्गत 2.5 लाख रुपए आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। इस योजना की शुरुआत अंतरजातीय विवाह को प्रोत्साहित करने के लिए की गई है। इस विवाह प्रोत्साहन योजना के माध्यम से प्राप्त हुई राश विवाहित जोड़ी को आर्थिक मदद के तौर पर प्राप्त होगी। यह योजना सोशल जस्टिस एंड एंपावरमेंट के मिनिस्टर एवं डॉ आंबेडकर फाउंडेशन के चेयरमैन के द्वारा संचालित की जाएगी। अगर लाभार्थी के द्वारा योजना का लाभ प्राप्त करने हेतु कोई भी गलत जानकारी दी जाती है तो यह सहयता राशि लाभार्थी से वसूल कर की जाएगी। इस योजना को पहले सर्ग 2 साल के लिए ही शुरू किया गया था, लेकिन अब इसका संचालन प्रतिवर्ष किया जा रहा है।
क्या है अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना का उद्देश्य ?
बिहार सरकार के द्वारा शुरू की गई इस अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य में अंतरजातीय विवाह करने के लिए प्रोत्साहित करना है। जिससे समाज में पिछड़े वर्ग को लेकर भी समानता की धरना का विकास हो सके। इस योजना का लाभ तभी दिया जाता है जब पति और पत्नी में से कोई एक पिछड़ी जाति से संबंध रखता होगा और दूसरा का ताल्लुक गैर पिछड़ी जाति से होगा। इस योजना के माध्यम से प्राप्त हुई राशि से विवाहित जोड़ा की आर्थिक मदद होगी और वह आत्मनिर्भर एवं सशक्त बन पाएंगे। इस योजना के संचालन से अंतरजातीय विवाह में बढ़ोतरी होगी, जिससे समाज की सोच में बदलाव आएगा।
योजना के लिए जरूरी पात्रता एवं डॉक्युमेंट्स
इस योजना का लाभ लेने वाला व्यक्ति बिहार का मूल निवासी होना चाहिए। इसका लाभ उठाने हेतू पति या पत्नी में से कोई एक अनुसूचित जाति और दूसरा का गैर अनुसूचित जाति से होना ज़रूरी है। विवाह हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के तहत रजिस्टर्ड होना अनिवार्य है। इसका लाभ उठाने के लिए विवाहित जोड़े के द्वारा शादी होने का एक एफिडेविट जमा करना जरूरी है।अगर विवाह हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के अलावा किसी और एक्ट के तहत रजिस्टर्ड है,तो विवाहित जोड़े को एक सर्टिफिकेट अलग से जमा करना होगा। इसका लाभ केवल पहली शादी के लिए ही लिया जा सकता है।
इसका लाभ उठाने के लिए विवाह के 1 साल के भीतर ही आवेदन करना जरूरी है। इसके अलावा आवेदक के पास आधार कार्ड,निवास प्रमाण पत्र,आय प्रमाण पत्र,आयु प्रमाण पत्र, मैरिज सर्टिफिकेट,शादी की फोटो, शादी का कार्ड, राशन कार्ड, फोन नंबर और पासपोर्ट फोटो जैसे डॉक्युमेंट्स का होना बेहद जरूरी है।
ऐसे करें योजना के अंतर्गत आवेदन !
इस योजना में आवेदन करने के लिए सबसे पहले आपको इसकी वेबसाइड पर जाकर दिए गए फॉर्म को डाउनलोड करना होगा।अब इस आवेदन फॉर्म का प्रिंट आउट निकालना होगा। इसके बाद इसमें मांगी गई सभी जानकारियों को भरना होगा और इसके साथ ही सभी डॉक्युमेंट्स को भी अपलोड करना है। इसके बाद इस फॉर्म को संबंधित विभाग में जमा करना हैं
अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना क्या है?
यह योजना बिहार सरकार के द्वारा शुरू की गई है। इसे डॉ.अंबेडकर स्कीम फॉर सोशल इंटीग्रेशन थ्रू इंटर कास्ट मैरिज भी कहा जाता हैं। अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना के जरिए उस वैवाहिक जोड़ी को आर्थिक मदद मिलती है,जो अंतरजातीय विवाह करता है। इस योजना के अंतर्गत 2.5 लाख रुपए आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। इस योजना की शुरुआत अंतरजातीय विवाह को प्रोत्साहित करने के लिए की गई है। इस विवाह प्रोत्साहन योजना के माध्यम से प्राप्त हुई राश विवाहित जोड़ी को आर्थिक मदद के तौर पर प्राप्त होगी। यह योजना सोशल जस्टिस एंड एंपावरमेंट के मिनिस्टर एवं डॉ आंबेडकर फाउंडेशन के चेयरमैन के द्वारा संचालित की जाएगी। अगर लाभार्थी के द्वारा योजना का लाभ प्राप्त करने हेतु कोई भी गलत जानकारी दी जाती है तो यह सहयता राशि लाभार्थी से वसूल कर की जाएगी। इस योजना को पहले सर्ग 2 साल के लिए ही शुरू किया गया था, लेकिन अब इसका संचालन प्रतिवर्ष किया जा रहा है।
क्या है अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना का उद्देश्य ?
बिहार सरकार के द्वारा शुरू की गई इस अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य में अंतरजातीय विवाह करने के लिए प्रोत्साहित करना है। जिससे समाज में पिछड़े वर्ग को लेकर भी समानता की धरना का विकास हो सके। इस योजना का लाभ तभी दिया जाता है जब पति और पत्नी में से कोई एक पिछड़ी जाति से संबंध रखता होगा और दूसरा का ताल्लुक गैर पिछड़ी जाति से होगा। इस योजना के माध्यम से प्राप्त हुई राशि से विवाहित जोड़ा की आर्थिक मदद होगी और वह आत्मनिर्भर एवं सशक्त बन पाएंगे। इस योजना के संचालन से अंतरजातीय विवाह में बढ़ोतरी होगी, जिससे समाज की सोच में बदलाव आएगा।
योजना के लिए जरूरी पात्रता एवं डॉक्युमेंट्स
इस योजना का लाभ लेने वाला व्यक्ति बिहार का मूल निवासी होना चाहिए। इसका लाभ उठाने हेतू पति या पत्नी में से कोई एक अनुसूचित जाति और दूसरा का गैर अनुसूचित जाति से होना ज़रूरी है। विवाह हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के तहत रजिस्टर्ड होना अनिवार्य है। इसका लाभ उठाने के लिए विवाहित जोड़े के द्वारा शादी होने का एक एफिडेविट जमा करना जरूरी है।अगर विवाह हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के अलावा किसी और एक्ट के तहत रजिस्टर्ड है,तो विवाहित जोड़े को एक सर्टिफिकेट अलग से जमा करना होगा। इसका लाभ केवल पहली शादी के लिए ही लिया जा सकता है।
इसका लाभ उठाने के लिए विवाह के 1 साल के भीतर ही आवेदन करना जरूरी है। इसके अलावा आवेदक के पास आधार कार्ड,निवास प्रमाण पत्र,आय प्रमाण पत्र,आयु प्रमाण पत्र, मैरिज सर्टिफिकेट,शादी की फोटो, शादी का कार्ड, राशन कार्ड, फोन नंबर और पासपोर्ट फोटो जैसे डॉक्युमेंट्स का होना बेहद जरूरी है।
ऐसे करें योजना के अंतर्गत आवेदन !
इस योजना में आवेदन करने के लिए सबसे पहले आपको इसकी वेबसाइड पर जाकर दिए गए फॉर्म को डाउनलोड करना होगा।अब इस आवेदन फॉर्म का प्रिंट आउट निकालना होगा। इसके बाद इसमें मांगी गई सभी जानकारियों को भरना होगा और इसके साथ ही सभी डॉक्युमेंट्स को भी अपलोड करना है। इसके बाद इस फॉर्म को संबंधित विभाग में जमा करना हैं
अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना क्या है?
यह योजना बिहार सरकार के द्वारा शुरू की गई है। इसे डॉ.अंबेडकर स्कीम फॉर सोशल इंटीग्रेशन थ्रू इंटर कास्ट मैरिज भी कहा जाता हैं। अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना के जरिए उस वैवाहिक जोड़ी को आर्थिक मदद मिलती है,जो अंतरजातीय विवाह करता है। इस योजना के अंतर्गत 2.5 लाख रुपए आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। इस योजना की शुरुआत अंतरजातीय विवाह को प्रोत्साहित करने के लिए की गई है। इस विवाह प्रोत्साहन योजना के माध्यम से प्राप्त हुई राश विवाहित जोड़ी को आर्थिक मदद के तौर पर प्राप्त होगी। यह योजना सोशल जस्टिस एंड एंपावरमेंट के मिनिस्टर एवं डॉ आंबेडकर फाउंडेशन के चेयरमैन के द्वारा संचालित की जाएगी। अगर लाभार्थी के द्वारा योजना का लाभ प्राप्त करने हेतु कोई भी गलत जानकारी दी जाती है तो यह सहयता राशि लाभार्थी से वसूल कर की जाएगी। इस योजना को पहले सर्ग 2 साल के लिए ही शुरू किया गया था, लेकिन अब इसका संचालन प्रतिवर्ष किया जा रहा है।
क्या है अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना का उद्देश्य ?
बिहार सरकार के द्वारा शुरू की गई इस अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य में अंतरजातीय विवाह करने के लिए प्रोत्साहित करना है। जिससे समाज में पिछड़े वर्ग को लेकर भी समानता की धरना का विकास हो सके। इस योजना का लाभ तभी दिया जाता है जब पति और पत्नी में से कोई एक पिछड़ी जाति से संबंध रखता होगा और दूसरा का ताल्लुक गैर पिछड़ी जाति से होगा। इस योजना के माध्यम से प्राप्त हुई राशि से विवाहित जोड़ा की आर्थिक मदद होगी और वह आत्मनिर्भर एवं सशक्त बन पाएंगे। इस योजना के संचालन से अंतरजातीय विवाह में बढ़ोतरी होगी, जिससे समाज की सोच में बदलाव आएगा।
योजना के लिए जरूरी पात्रता एवं डॉक्युमेंट्स
इस योजना का लाभ लेने वाला व्यक्ति बिहार का मूल निवासी होना चाहिए। इसका लाभ उठाने हेतू पति या पत्नी में से कोई एक अनुसूचित जाति और दूसरा का गैर अनुसूचित जाति से होना ज़रूरी है। विवाह हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के तहत रजिस्टर्ड होना अनिवार्य है। इसका लाभ उठाने के लिए विवाहित जोड़े के द्वारा शादी होने का एक एफिडेविट जमा करना जरूरी है।अगर विवाह हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के अलावा किसी और एक्ट के तहत रजिस्टर्ड है,तो विवाहित जोड़े को एक सर्टिफिकेट अलग से जमा करना होगा। इसका लाभ केवल पहली शादी के लिए ही लिया जा सकता है।
इसका लाभ उठाने के लिए विवाह के 1 साल के भीतर ही आवेदन करना जरूरी है। इसके अलावा आवेदक के पास आधार कार्ड,निवास प्रमाण पत्र,आय प्रमाण पत्र,आयु प्रमाण पत्र, मैरिज सर्टिफिकेट,शादी की फोटो, शादी का कार्ड, राशन कार्ड, फोन नंबर और पासपोर्ट फोटो जैसे डॉक्युमेंट्स का होना बेहद जरूरी है।
ऐसे करें योजना के अंतर्गत आवेदन !
इस योजना में आवेदन करने के लिए सबसे पहले आपको इसकी वेबसाइड पर जाकर दिए गए फॉर्म को डाउनलोड करना होगा।अब इस आवेदन फॉर्म का प्रिंट आउट निकालना होगा। इसके बाद इसमें मांगी गई सभी जानकारियों को भरना होगा और इसके साथ ही सभी डॉक्युमेंट्स को भी अपलोड करना है। इसके बाद इस फॉर्म को संबंधित विभाग में जमा करना हैं
अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना क्या है?
यह योजना बिहार सरकार के द्वारा शुरू की गई है। इसे डॉ.अंबेडकर स्कीम फॉर सोशल इंटीग्रेशन थ्रू इंटर कास्ट मैरिज भी कहा जाता हैं। अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना के जरिए उस वैवाहिक जोड़ी को आर्थिक मदद मिलती है,जो अंतरजातीय विवाह करता है। इस योजना के अंतर्गत 2.5 लाख रुपए आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। इस योजना की शुरुआत अंतरजातीय विवाह को प्रोत्साहित करने के लिए की गई है। इस विवाह प्रोत्साहन योजना के माध्यम से प्राप्त हुई राश विवाहित जोड़ी को आर्थिक मदद के तौर पर प्राप्त होगी। यह योजना सोशल जस्टिस एंड एंपावरमेंट के मिनिस्टर एवं डॉ आंबेडकर फाउंडेशन के चेयरमैन के द्वारा संचालित की जाएगी। अगर लाभार्थी के द्वारा योजना का लाभ प्राप्त करने हेतु कोई भी गलत जानकारी दी जाती है तो यह सहयता राशि लाभार्थी से वसूल कर की जाएगी। इस योजना को पहले सर्ग 2 साल के लिए ही शुरू किया गया था, लेकिन अब इसका संचालन प्रतिवर्ष किया जा रहा है।
क्या है अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना का उद्देश्य ?
बिहार सरकार के द्वारा शुरू की गई इस अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य में अंतरजातीय विवाह करने के लिए प्रोत्साहित करना है। जिससे समाज में पिछड़े वर्ग को लेकर भी समानता की धरना का विकास हो सके। इस योजना का लाभ तभी दिया जाता है जब पति और पत्नी में से कोई एक पिछड़ी जाति से संबंध रखता होगा और दूसरा का ताल्लुक गैर पिछड़ी जाति से होगा। इस योजना के माध्यम से प्राप्त हुई राशि से विवाहित जोड़ा की आर्थिक मदद होगी और वह आत्मनिर्भर एवं सशक्त बन पाएंगे। इस योजना के संचालन से अंतरजातीय विवाह में बढ़ोतरी होगी, जिससे समाज की सोच में बदलाव आएगा।
योजना के लिए जरूरी पात्रता एवं डॉक्युमेंट्स
इस योजना का लाभ लेने वाला व्यक्ति बिहार का मूल निवासी होना चाहिए। इसका लाभ उठाने हेतू पति या पत्नी में से कोई एक अनुसूचित जाति और दूसरा का गैर अनुसूचित जाति से होना ज़रूरी है। विवाह हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के तहत रजिस्टर्ड होना अनिवार्य है। इसका लाभ उठाने के लिए विवाहित जोड़े के द्वारा शादी होने का एक एफिडेविट जमा करना जरूरी है।अगर विवाह हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के अलावा किसी और एक्ट के तहत रजिस्टर्ड है,तो विवाहित जोड़े को एक सर्टिफिकेट अलग से जमा करना होगा। इसका लाभ केवल पहली शादी के लिए ही लिया जा सकता है।
इसका लाभ उठाने के लिए विवाह के 1 साल के भीतर ही आवेदन करना जरूरी है। इसके अलावा आवेदक के पास आधार कार्ड,निवास प्रमाण पत्र,आय प्रमाण पत्र,आयु प्रमाण पत्र, मैरिज सर्टिफिकेट,शादी की फोटो, शादी का कार्ड, राशन कार्ड, फोन नंबर और पासपोर्ट फोटो जैसे डॉक्युमेंट्स का होना बेहद जरूरी है।
ऐसे करें योजना के अंतर्गत आवेदन !
इस योजना में आवेदन करने के लिए सबसे पहले आपको इसकी वेबसाइड पर जाकर दिए गए फॉर्म को डाउनलोड करना होगा।अब इस आवेदन फॉर्म का प्रिंट आउट निकालना होगा। इसके बाद इसमें मांगी गई सभी जानकारियों को भरना होगा और इसके साथ ही सभी डॉक्युमेंट्स को भी अपलोड करना है। इसके बाद इस फॉर्म को संबंधित विभाग में जमा करना हैं
अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना क्या है?
यह योजना बिहार सरकार के द्वारा शुरू की गई है। इसे डॉ.अंबेडकर स्कीम फॉर सोशल इंटीग्रेशन थ्रू इंटर कास्ट मैरिज भी कहा जाता हैं। अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना के जरिए उस वैवाहिक जोड़ी को आर्थिक मदद मिलती है,जो अंतरजातीय विवाह करता है। इस योजना के अंतर्गत 2.5 लाख रुपए आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। इस योजना की शुरुआत अंतरजातीय विवाह को प्रोत्साहित करने के लिए की गई है। इस विवाह प्रोत्साहन योजना के माध्यम से प्राप्त हुई राश विवाहित जोड़ी को आर्थिक मदद के तौर पर प्राप्त होगी। यह योजना सोशल जस्टिस एंड एंपावरमेंट के मिनिस्टर एवं डॉ आंबेडकर फाउंडेशन के चेयरमैन के द्वारा संचालित की जाएगी। अगर लाभार्थी के द्वारा योजना का लाभ प्राप्त करने हेतु कोई भी गलत जानकारी दी जाती है तो यह सहयता राशि लाभार्थी से वसूल कर की जाएगी। इस योजना को पहले सर्ग 2 साल के लिए ही शुरू किया गया था, लेकिन अब इसका संचालन प्रतिवर्ष किया जा रहा है।
क्या है अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना का उद्देश्य ?
बिहार सरकार के द्वारा शुरू की गई इस अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य में अंतरजातीय विवाह करने के लिए प्रोत्साहित करना है। जिससे समाज में पिछड़े वर्ग को लेकर भी समानता की धरना का विकास हो सके। इस योजना का लाभ तभी दिया जाता है जब पति और पत्नी में से कोई एक पिछड़ी जाति से संबंध रखता होगा और दूसरा का ताल्लुक गैर पिछड़ी जाति से होगा। इस योजना के माध्यम से प्राप्त हुई राशि से विवाहित जोड़ा की आर्थिक मदद होगी और वह आत्मनिर्भर एवं सशक्त बन पाएंगे। इस योजना के संचालन से अंतरजातीय विवाह में बढ़ोतरी होगी, जिससे समाज की सोच में बदलाव आएगा।
योजना के लिए जरूरी पात्रता एवं डॉक्युमेंट्स
इस योजना का लाभ लेने वाला व्यक्ति बिहार का मूल निवासी होना चाहिए। इसका लाभ उठाने हेतू पति या पत्नी में से कोई एक अनुसूचित जाति और दूसरा का गैर अनुसूचित जाति से होना ज़रूरी है। विवाह हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के तहत रजिस्टर्ड होना अनिवार्य है। इसका लाभ उठाने के लिए विवाहित जोड़े के द्वारा शादी होने का एक एफिडेविट जमा करना जरूरी है।अगर विवाह हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के अलावा किसी और एक्ट के तहत रजिस्टर्ड है,तो विवाहित जोड़े को एक सर्टिफिकेट अलग से जमा करना होगा। इसका लाभ केवल पहली शादी के लिए ही लिया जा सकता है।
इसका लाभ उठाने के लिए विवाह के 1 साल के भीतर ही आवेदन करना जरूरी है। इसके अलावा आवेदक के पास आधार कार्ड,निवास प्रमाण पत्र,आय प्रमाण पत्र,आयु प्रमाण पत्र, मैरिज सर्टिफिकेट,शादी की फोटो, शादी का कार्ड, राशन कार्ड, फोन नंबर और पासपोर्ट फोटो जैसे डॉक्युमेंट्स का होना बेहद जरूरी है।
ऐसे करें योजना के अंतर्गत आवेदन !
इस योजना में आवेदन करने के लिए सबसे पहले आपको इसकी वेबसाइड पर जाकर दिए गए फॉर्म को डाउनलोड करना होगा।अब इस आवेदन फॉर्म का प्रिंट आउट निकालना होगा। इसके बाद इसमें मांगी गई सभी जानकारियों को भरना होगा और इसके साथ ही सभी डॉक्युमेंट्स को भी अपलोड करना है। इसके बाद इस फॉर्म को संबंधित विभाग में जमा करना हैं